भिलाई। गोस्वामी तुलसीदासजी की जयंती के अवसर पर सामाजिक संस्था मायाराम शिक्षण समिति एवं चन्द्र नगर,कृपाल नगर,शिवाजी नगर व शांति नगर के प्रबुद्ध नागरिको द्वारा काव्य गोष्ठी एवं सम्मान समारोह का आयोजन आचार्य पंडित विनोद चौबे के शांतिनगर स्थित निवास स्थान पर 16 अगस्त,सोमवार के दिन किया गया था. इस आयोजन में मुख्य वक्ता व कार्यक्रम के अध्यक्ष के रूप में कौशलेन्द्र प्रताप सिंह उपस्थित थे.अतिथि के रूप में मुकेश भटनागर,बुद्ध सेन शर्मा एवं अंज्जन कुशवाहा एवं दिलेश्वर उमरे उपस्थित थे.

मुख्य वक्ता व अतिथियों का पुष्प गुच्छ से स्वागत के पश्चात् मुकेश भटनागर ने गोस्वामी तुलसीदास जी के जीवन से संबंधित प्रमुख बातो से उपस्थित लोगों को अवगत कराया.उन्होंने बताया कि तुलसीदास के जन्म लेने के दुसरे ही दिन उनकी माता का निधन हो गया और उनके पिता ने उन्हें चुनिय नाम की एक दासी को लालन पालन के लिये सौंप दिया.साढ़े पांच साल के होते होते चुनिया भी चल बसी.अनाथ रामबोला जो उनके बचपन का नाम था की विलक्षण प्रतिभा को पहचान कर नरहरी बाबा जो इनके गुरु बने अपने पास ले आये और उनको तुलसीदास नाम दिया,राम मन्त्र की दीक्षा दी विद्याध्यन करवाया और आगे चल कर तुलसीदास ने 77 साल की उम्र में संवत 1631 में श्री रामचरितमानस की रचना प्रारंभ की और दो साल,सात महीने छब्बीस दिनों में संवत 1633 में सातों काण्ड पूर्ण किये.उन्होंने नमन शब्द की भी बड़ी ही सुन्दर व्याख्या प्रस्तुत की.
पश्चात् कवि बुद्ध सेन शर्मा ने काव्य पाठ किया जिसमे उन्होंने दूल्हा बने शिवजी का चित्रण किया व साथ ही बताया कि गोस्वामी तुलसीदास की जयंती व पुण्य तिथि एक ही दिन पड़ती है.
मुख्य वक्ता व कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे कौशलेन्द्र प्रताप सिंह ने श्री रामचरित मानस एवं बाल्मीकि रामायण का अंतर बताते हुये कहा की रामायण में श्री राम को एक ब्यक्ति मानकर उनके 64 गुणों को आधार मान कर उनका चित्रण किया गया है.वही तुलसीदासजी ने राम को ब्रम्ह माना जो उनके आराध्य बने और आराध्य भगवान का रूप होता है और तुलसीदासजी ने श्री रामचरितमानस में वही लिखा जो प्रभु राम ने उनको कहा और इसीलिए श्री रामचरितमानस में उन्होंने राम का चित्रण भगवान् के रूप में किया है.कवि अंज्जन कुशवाहा ने कविता “जगदम्बे आंबे सुन लों मेरी पुकार” सुनायी.इस अवसर पर मातृ शक्ति ने भगवान श्रीराम के ऊपर भजन प्रस्तुत किये.इस आयोजन में दिनेश पुरवार, नागेन्द्र प्रसाद मिश्र, हिमांचल श्रीवास, अमरेन्द्र शर्मा, शंकर, बद्रीलाल शाह, जितेन्द्र साहू, मदन मिश्र,सोनू पाण्डेय, अक्षत कौशल चौबे, मधुमाला चौहान, नंदा पाण्डे, बी.भवानी, ऊमा शाह, सरस्वती कुशवाहा, शशि कण्डपाल, सुमन बुंदेला, सुषमा राय, सुधा मिश्रा, किशोरी राव, रम्भा देवी चौबे, वैशाली वानखेड़े, नीलम उपाध्याय, संगीता उपाध्याय एवं श्रीमती ज्योत्सना महापात्रा उपस्थित थी.कार्यक्रम का संचालन एवं आभार प्रदर्शन आचार्य पंडित विनोद चौबे ने किया।










