
दिल्ली। वित्त वर्ष 2022 की पहली तिमाही यानी अप्रैल 2021 से जून 2021 में भारत की जीडीपी की ग्रोथ में 20.1 फीसदी की बढ़त दर्ज की गई है। आंकड़ों के अनुसार 2021-22 के पहली तिमाही में जीडीपी 32.38 लाख करोड़ रुपये रही है, जो 2020-21 की पहली तिमाही में 26.95 लाख करोड़ रुपये थी।

देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में वित्त वर्ष 2021-22 की पहली तिमाही में 20.1 प्रतिशत वृद्धि दर्ज की गई. एक साल पहले की पहली तिमाही का तुलनात्मक आधार नीचे होने से इस साल की वृद्धि दर ऊंची रही है. मुख्य आर्थिक सलाहकार के.वी. सुब्रमण्यम ने कहा कि पहली तिमाही के जीडीपी आंकड़ों से सरकार द्वारा पिछले साल व्यक्त अर्थव्यवस्था में वी-आकार के पुनरूद्धार के अनुमान की पुष्टि हुई.
राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) के मंगलवार को जारी आंकड़ों में यह जानकारी दी गई है. इसके मुताबिक सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में पिछले वित्त वर्ष 2020-21 की अप्रैल-जून तिमाही में 24.4 प्रतिशत की गिरावट आयी थी।
सरकार ने पिछले साल कोविड-19 महामारी की रोकथाम के लिये मार्च से मई के दौरान देशव्यापी लॉकडाउन लगाया था. चीन की वृद्धि दर 2021 की अप्रैल-जून तिमाही में 7.9 प्रतिशत रही है.
इससे पहले, एसबीआई रिसर्च की रिपोर्ट इकोरैपने कहा था कि नाउकास्टिंग मॉडल के अनुसार पहली तिमाही में जीडीपी की वृद्धि दर 18.5% (ऊपर की ओर झुकाव के साथ) रहने का अनुमान है. रिपोर्ट में हालांकि स्पष्ट किया गया था कि वित्त वर्ष की पहली तिमाही में ऊंची वृद्धि दर की वजह पिछले साल का निचला आधार प्रभाव है. भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) ने 41 उच्च चक्रीय संकेतकों के साथ नाउकास्टिंग मॉडल विकसित किया था.
रिपोर्ट में अनुमान लगाया गया था कि पहली तिमाही में सकल मूल्य वर्धन (जीवीए) 15% रहेगा. इसमें कहा गया था कि कंपनियों के पहली तिमाही के जो नतीजे आए हैं उनसे पता चलता है कि कॉरपोरेट जीवीए इबीआईडीटीए (ब्याज, कर, मूल्यह्रास और परिशोधन से पूर्व आय) जमा कर्मचारी लागत) में उल्लेखनीय सुधार हुआ है.
किसी भी एक साल के भीतर देश में उत्पादित होने वाले सभी सामानों और सेवाओं का कुल मूल्य सकल घरेलू उत्पाद या जीडीपी (GDP) है. जीडीपी किसी भी देश की अर्थव्यवस्था की स्थिति को दर्शाता है. इससे पता चलता है कि देश का विकास किस तरह हो रहा है. केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय (NSO) जीडीपी की गणना करता है.
