
॥जामुल॥ प्यारे श्री राधा कृष्ण संस्कार मंच के तत्वावधान में जामुल में राष्ट्रीय संत श्री असंगदेव जी के सुमधुर वाणी से आयोजित होने वाले “सुखद सत्संग महोत्सव” के आयोजन को लेकर जामुल में तैयारियां तेज हो गई है 150*300 का पण्डाल बन रहा है जहाँ 10000 दस हजार से अधिक लोगों के बैठने की व्यवस्था की जा रही है 60 फिट लंबा मंच तैयार किया जा है

सुखद सत्संग के आयोजक प्यारे श्री राधा कृष्ण संस्कार मंच के संयोजक ईश्वर उपाध्याय को आयोजन कि रूपरेखा को विस्तार पुर्वक सभी के समक्ष रखने की बात कही जिस पर संयोजक ईश्वर उपाध्याय ने कहा कि दो दिवसीय आयोजन के प्रथम दिवस 08 फरवरी सोमवार को सुबह 11:00 बजे से पुरैना तालाब वार्ड क्रमांक 04 से शोभायात्रा प्रारंभ होगा जिसका समापन शिवपुरी वार्ड क्रमांक 17 जामुल सत्संग स्थल में होगा जहाँ पंडाल में दस हजार से अधिक लोगों के बैठने की व्यवस्था की जा रही है एवं द्वितीय दिवस 09 फरवरी मंगलवार को दो पाली में सुबह 10:00बजे से और दोपहर 03:00 बजे से सत्संग प्रारंभ होगा,आयोजन में दस हजार से अधिक आमंत्रण पत्रों का घर-घर वितरण होगा, कलश धारण करने हेतु निःशुल्क रजिस्ट्रेसन कराना एवं निःशुल्क आई कार्ड बनवाना अनिवार्य था, कलश धारण करने हेतु रजिस्ट्रेसन कि अंतिम तिथि 05 फरवरी था साथ ही आयोजन समिति के सभी सदस्यों को अनिवार्य रूप से विशेष पहचान पत्र उपलब्ध कराये जायेंगे, आदि सभी प्रमुख विषयों पर जानकारी दी,
बिहारीलाल साहू का कहना है, कि यह आयोजन जामुल के लिए सौभाग्य का विषय है, ईस आयोजन से जामुल धरा पवित्र होगी और आमजनों के जीवनशैली में निश्चित ही परिवर्तन होगा।
डामन लाल वर्मा सुरड्डुंग का कहना है कि “सत्संग से बड़ा से बड़ा बदलाव होता है, पारस और संत मे बहुत अंतरोजान वा लोहा कंचन करे वा करे आप समान”
पारस और संत मे बहुत अंतर है पारस तो केवल लोहे को सोना बना देता है पर संत सबको अपने समान बना देता है, संत के आगमन से कुसंग से कुसंग व्यक्ति के जीवन में भी सुधार होगा साथ ही आयोजक के विषय में कहा है कि लगातार भागवत कथा, रामकथा, शिव कथा जैसे बड़े बड़े आयोजन प्यारे श्री राधा कृष्ण संस्कार मंच के द्वारा किए हैं आज के युग में इस तरह से धर्म का कार्य करने वाले विरले हैं।
द्रौपदी साहू ने सुखद सत्संग का भव्य आयोजन हो रहा है इतने भव्य आयोजन की वर्षो से प्रतीक्षा थी प्यारे श्री राधा कृष्ण संस्कार मंच के माध्यम निश्चितही लगातार व्यापक ऐतिहासिक ज्ञानवर्धक धार्मिक आयोजन करते आए हैं जिससे समुचा जामुल हि नहीं अपितु पुरा दुर्ग जिला स्वयं को गौरवान्वित महसूस करता है
